Best Love Story Business Class Part 2: अनचाहे इरादे

करन घर लौटा, और जैसे ही अस्पताल पहुंचा, उसकी आँखों में पापा को देख एक अजीब सी बेचैनी थी। पापा की तबीयत काफी खराब थी, और डॉक्टर ने बताया कि उन्हें आराम की सख्त जरूरत है। करन अस्पताल में अपने पापा के पास घंटों उनका हाथ थामे बैठा रहा, लेकिन उसके दिमाग में एक और सवाल चल रहा था कीर्ति के बारे में, वह लगातार सोच रहा था कि वह अकेली है, क्या वह ठीक रहेगी?

इसी दौरान, उसका फोन बजा। उसने देखा कीर्ति का नाम स्क्रीन पर था। वह कुछ पल के लिए हैरान सा हो गया, लेकिन फिर उसने फोन उठाया।

“हैलो?” करन की आवाज में हलकी थकान थी।

“हाय करन, तुम कैसे हो? अब पापा की तबीयत कैसी है। मैंने सुना कि वह अस्पताल में हैं। उनके लिए मैं बहुत दुखी हूं, करन। मुझे विश्वास है कि वह जल्दी ठीक हो जाएंगे,” कीर्ति की यह बातें सुनकर, करन थोड़ा भावुक हो जाता है, और बोलता है अभी ठीक हैं। मुझे बस उनका ध्यान रखना है।” करन की आवाज में एक दर्द था, लेकिन वह कोशिश कर रहा था कि वह अपनी दर्द न जताए।

दोनों के बीच थोड़ी देर चुप्पी रही, लेकिन फिर करन ने धीरे से कहा, “तुम ठीक हो न?” कीर्ति ने नकारात्मक रूप से सिर हिलाया, भले ही करन उसे नहीं देख सकता था। “हाँ, मैं ठीक हूं, बस थोड़ा अकेला महसूस कर रही हूं, तुमसे बात करके अच्छा लगा।” उसकी आवाज में एक अजीब सा दर्द था। “मैं भी तुम्हें मिस करता हूं, कीर्ति,” करन ने कहा। उसकी बातों में गहरी भावनाएं थीं, लेकिन वह सोच रहा था, क्या कीर्ति के लिए यह सिर्फ एक क्षणिक भावना है, या फिर वह उसे सच में चाहता है? कुछ देर बाद दोनों ने काम की बातें की और फोन काट दिया, लेकिन करन के दिल में एक अलग सा खालीपन था।

समय बीतता गया, करन की अनुपस्थिति की वजह से कीर्ति को अक्सर अकेलेपन का अहसास होने लगा था, दूसरी तरफ अजय, जो अब उसकी नज़दीकी में आने की कोशिश कर रहा था। इसका असर करन और कीर्ति के उस एक दिन के रिश्ते पर हो रहा था, कीर्ति के पास अब करन से बात करने का वक्त कम होता जा रहा था, और इसका असर कीर्ति के मन पर पड़ रहा था। वह लगातार अपने फैसले पर उलझन महसूस कर रही थी।

अजय सिर्फ एक असिस्टेंट के रूप में कंपनी में काम कर रहा है, ऑफिस में काम का दबाव बहुत बढ़ चुका था। एक बड़ा प्रोजेक्ट कीर्ति के हाथ में था, जिसके लिए कंपनी को कुछ पैसों की जरूरत थी, कीर्ति की जिम्मेदारी थी कि वह इस प्रोजेक्ट को स्वीकार करके बिजनेस को और आगे बढ़ाए, लेकिन, उसे करन की कमी महसूस हो रही थी, अजय एक कर्मचारी है, उसे वह सबकुछ नहीं बता सकती।

एक दिन, जब कीर्ति लोन से जुड़े दस्तावेजों को देखकर परेशान हो रही थी, अजय उसकी मदद के लिए आया। “तुम बहुत परेशान लग रही हो,” उसने देखा, और तुरंत सामने आकर कहा, “क्या मैं मदद कर सकता हूं?” कीर्ति ने अपनी थकी हुई आँखों से उसे देखा, “करन की बिना यह सब बहुत कठिन लग रहा है, अजय। मैं नहीं जानती कि इसको कैसे पूरा करूंगी। “तुम अकेले क्यों यह सब कर रही हो?” अजय ने अपना हाथ उसकी पीठ पर रखा। “आपसे कहा था न, आपको खुद को थोड़ा आराम देना चाहिए।” कीर्ति ने हंसते हुए कहा, “मेरे पास आराम करने का वक्त कहाँ है? ये लोन का काम, क्लाइंट की डिमांड्स, सब कुछ एक साथ हो गया है। अजय ने फिर से उसकी तरफ देखा, और बोला क्या आप चाहती हूं, कि मैं इसमें आपकी कुछ हेल्प करूं?” अजय ने बेहद विनम्रता से पूछा। कीर्ति को यह ऑफर अच्छा लगा, लेकिन अंदर से कुछ तकरार थी। फिर भी, उसने हामी भर दी। “ठीक है, अगर तुम सच में मदद करना चाहते हो, तो ठीक है।”

अजय ने जल्दी से कुर्सी खींची और उसके पास आ बैठा। फिर दोनों ने मिलकर दस्तावेजों पर काम करना शुरू किया। इस बीच अजय ने कीर्ति से हल्की-फुल्की बातें भी की, अजय का इस तरह हेल्प के लिए पूछना और फिर कीर्ति से बात करना, कीर्ति को यह सब अच्छा लग रहा था कुछ दिन बाद, कीर्ति को कंपनी के एक नए क्लाइंट से बैठक करनी पड़ी। यह क्लाइंट बहुत ही चुनौतियों से भरा था, और उसे इस बातचीत को सही दिशा में ले जाना था। उसके मन में बार-बार यही ख्याल आ रहा था कि करन क्या कर रहा होगा, क्या वह जानता है कि कीर्ति को इस समय कितनी मदद की जरूरत है?

जैसे ही वह उस क्लाइंट से मिलकर ऑफिस लौटी , उसका मूड बहुत खराब था। क्लाइंट ने हर बात में खामियां बताईं, और उसे बेइज्जत किया। ऑफिस आते ही, कीर्ति ने अपना गुस्सा सभी कर्मचारी और अजय पर निकाला। इसके बाद अपने केविन में चली गई, क्या उसकी नज़र में हमारी मेहनत कोई मायने नहीं रखती?” कीर्ति गुस्से में आकर खुद से बात कर रही होती है। वह पास की दीवार को घूरते हुए खुद को शांत करने की कोशिश कर रही थी। अजय दूर से यह सब देख रहा था, क्योंकि केविन का कांच ट्रांसपेरेंट था, साफ साफ देख जा सकता है, कि केविन में क्या चल रहा है। अजय को रहा नहीं, गया वह कीर्ति से उसका हाल पूछने के लिए कीर्ति के केविन चला गया।

अजय इस मौके का फायदा उठाना चाहता था, उसने कीर्ति के कंधे पर हाथ रखा। “तुम चिंता मत करो, हम इसे साथ में सुलझाएंगे। तुम अकेली नहीं हो, कीर्ति।” कीर्ति ने अजय की ओर देखा, और कहा सॉरी अजय की मैने तुम्हे बिना वजह इतना सुनाया। अजय ने मुस्कुराते हुए कहा, कोई बात नहीं “आप हमेशा खुश रहा करो और कोई परेशानी है तो हमें अपना दोस्त समझ के बता सकती हो। मानता हूं करन आपके लिए सब कुछ हैं, मुझे दोस्त तो समझ ही सकती हो, अजय की यह बातें कीर्ति सिर ऊपर जा रही थी, लेकिन अभी के लिए कीर्ति ने अजय से कहा ठीक है, अब जाओ और अपना काम करो, मैं अब ठीक हूं।

कुछ दिन ऑफिस में सब सही से चलता है, एक दिन ऑफिस फोन पर बात करते करते ऑफिस में इंटर हुई, सभी लोग उसे देख रहे थे, लेकिन उसका ध्यान सिर्फ अपनी बातों पर था और वह बिना किसी को देखे अपने केविन चलो गई, बाहर से साफ साफ दिख रहा था कि कीर्ति अभी फोन पर ही बातें, कर रही है, उधर अजय बिना वजह कीर्ति के बारे सोच रहा था, कीर्ति ना जाने किससे बात करी है, कहीं करन तो नहीं। कुछ समय बाद कीर्ति फोन टेबल पर रख कर अपनी कुर्सी पर बैठ जाती है। तभी अजय काम के बहाने कीर्ति से फोन वाली बात का राज पूछने आता है, हेलो मैम सब ठीक है।

कीर्ति भावुक होके बोली कि करन की पिता जी अब इस दुनिया में नहीं रहे, अजय थोड़ा चिंतित हुआ और उसके पास कंधों पर हाथ रख बोला, आप चुप हो जाओ। कीर्ति कैसे चुप हो जाऊं, मैं वहां जा भी नहीं सकती काम को वजह से, करन को कितना बुरा लगेगा, अजय अभी तुम यहां से जाओ कोई काम होगा तो बाद में आना, अजय चुप चाप वहां से चला जाता है। उसे अब चिंता होने लगी, की करन और कितने दिन तक नहीं आएगा, उसको वजह से कीर्ति हमेशा ऑफिस में अकेलापन महसूस करने लगी, कभी कभी बिना वजह अजय और बाकी कमचारियों को भी सुना देती थी। ऑफिस में उसका मूड अब कुछ ज्यादा ही बदलने लगा था। वह हमेशा चिड़चिड़ी रहती, उसकी उलझनें साफ तौर पर दिखने लगी थीं। अजय को इसका फायदा हुआ धीरे धीरे वह कीर्ति से बात करता रहता था, और उसको टेंशन को दूर करता, कीर्ति को अजय का इस तरह पास आना और फिर उससे बात करना अच्छा लगने लगा, करन की कमी अब कम महसूस हो रही थी।

कुछ दिन ऑफिस में अजय और कीर्ति के बीच यही सब चलता रहा, कभी कभी दोनों लोग ऑफिस के लंच टाइम के समय बाहर घूमने भी जाते थे, एक दिन की बात ऑफिस में किसी काम की वजह से कीर्ति को काफी टाइम हो गया था, अजय उसके जाने का इंतजार कर रहा होता है, देखते देखते रात हो जाती है।

वह रात काफी अलग थी। तेज बारिश और हवा की आवाज ने ऑफिस के अंदर एक खामोशी की स्थिति बना दी थी। काम में व्यस्त कीर्ति और अजय दोनों को यह समझ में आ गया था कि घर जाने का कोई फायदा नहीं था। बारिश इतनी तेज थी कि बाहर निकलने की कोई संभावना नहीं थी। दोनों ने फैसला किया कि वे रात ऑफिस में ही बिता सकते हैं। “तुम्हें आराम करने की जरूरत है, कीर्ति,” अजय ने एक हल्की मुस्कान के साथ कहा। “तुम बहुत थकी हुई लग रही हो। कीर्ति थोड़ी देर के लिए रुकी, और फिर सिर झुकाते हुए कहा, “हाँ, मुझे थोड़ा आराम चाहिए। बहुत देर से काम कर रही हूं। तुम अंदर आराम कर सकती हो, मैं बाहर रुक जाता हूं,” अजय ने कहा। अजय जनता है कि यह सही समय है, कीर्ति के दिल अपनी जगह बनाने का। कीर्ति ने थोड़ी देर सोचने के बाद कहा, “ठीक है, लेकिन तुम भी आराम करो, तुम भी तो थके हुए हो।” वह अजय की चिंता को महसूस कर रही थी।

वह अंदर केबिन में चली गई, और अजय बाहर ही आराम करने लगा। कुछ घंटों बाद, जब रात का सन्नाटा गहराया और बारिश की आवाज तेज़ हो गई, कीर्ति ने महसूस किया कि वह थकी हुई है। वह सोफे पर लेट गई, लेकिन उसकी आँखें खुले हुए थीं, और उसके दिमाग में एक अजीब सी उलझन थी। उसे नींद नहीं आ रही होती है तो वह अजय के पास बैठने के लिए आ जाती है अजय उठ कर बैठ जाता है, कीर्ति मन में एक विचित्र ख्याल आ रहा था क्या वह सही कर रही है? क्या अजय के साथ इतनी नजदीकी बनाना ठीक है? लेकिन उसके दिल ने इन सवालों को नकारते हुए एक और आवाज सुनी उसे उस पल बहुत अकेलापन महसूस हो रहा था, करन के साथ बिताई रात याद आ रही थी। कुछ देर बैठने के बाद कीर्ति ने अजय से, धीरे से कहा, “तुम ठीक हो?”

अजय ने सिर उठाया और हल्की मुस्कान के साथ कहा, “हां, बिल्कुल। तुम कैसी हो?”

कीर्ति को उसकी मुस्कान ने अजीब सा एहसास दिलाया, और फिर वह बिना कुछ कहे उसके और करीब हो गई। दोनों के बीच चुप्पी थी, और एक दूसरे को देख रहे थे। तुम भी थोड़ी देर आराम कर लो,” कीर्ति ने कहा, “तुम थके हुए लग रहे हो, “ठीक है,” अजय ने जवाब दिया और सोफे पर लेटने के लिए चला गया। लेकिन अचानक, कुछ ऐसा हुआ जिसकी दोनों ने बिल्कुल भी उम्मीद नहीं की थी। जैसे ही अजय ने अपनी आँखें बंद की और वह सोफे पर आराम से लेटने लगा, कीर्ति के भीतर कुछ अजीब सी बेचैनी हुई। वह नहीं जानती थी कि ऐसा क्यों हो रहा है, लेकिन उसने धीरे से उठकर अजय के पास जाकर उसके पास बैठने का फैसला किया। उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा, और वह महसूस कर रही थी कि यह पल कुछ खास था।

अजय ने उसे देखा, कीर्ति की आँखों में बहुत सारे सवाल थे, अजय ने धीरे से पूछा क्या तुम सही हो..?” कीर्ति ने जबाब देना चाहा लेकिन शब्द गले में अटक गए।

अजय ने उसे देखकर हल्की सी मुस्कान दी और जो कीर्ति शब्दों से नहीं समझा पा रही थी उसे अजय ने समझ लिए, बिना कुछ कहे दोनों के होंठ मिल गए। यह एक हल्का, शर्मीला चुंबन था, लेकिन इसने दोनों के दिलों में एक अनकहा एहसास जगा दिया। कीर्ति को ऐसा लगा कि जैसे उसे अपनी सारी उलझनें भूलकर एक पल के लिए अपने आप को खो देना चाहिए। वह चाहती थी कि यह पल रुक जाए, वह चाहती थी कि वह इस अहसास में खो जाए। फिर दोनों के बीच एक तीव्र चुंबन हुआ। इस बार, कोई रोकने वाला नहीं था। दोनों के शरीर एक-दूसरे से घुलने लगे थे। कीर्ति ने खुद को पूरी तरह से अजय के पास महसूस किया, और अजय ने कीर्ति को अपनी बाहों में समेट लिया।

कीर्ति ने आखिरी बार खुद को रोकने की कोशिश की, लेकिन उसकी इच्छाएं और उस पल का खिंचाव उसे रोक नहीं पाया। दोनों ने धीरे-धीरे एक दूसरे के कपड़े उतारने शुरू किए और एक दूसरे के प्यार में पूरी तरह से खो गए। इस समय दोनों के बीच केवल एक भावनात्मक जुड़ाव था, जिसे शब्दों में बयान करना मुश्किल था।

ऑफिस के सोफे पर, पूरी रात दोनों ने अपने दिलों की सारी बातें एक दूसरे के साथ बांटी। यह रात उनके लिए केवल एक शारीरिक कनेक्शन नहीं थी, बल्कि दोनों के बीच एक गहरी भावनात्मक यात्रा का हिस्सा बन गई थी। वे इस पल में पूरी तरह से खो गए थे, और समय जैसे थम गया था।

जब सुबह हुई, बाहर तेज बारिश हो होती है, कीर्ति जल्दी से उठकर ऑफिस से बाहर निकल गई, लेकिन उसके मन में उलझन और पछतावा था। वह खुद को दोषी महसूस कर रही थी, लेकिन उसे यह भी समझ में आ रहा था कि यह सब उसने अपनी भावनाओं के दबाव में किया था।

जब वह फ्लैट पर पहुंची, वहां करन को देख कर चौंक सी गई। वह करन से नजरें नहीं मिला पा रही थी। करन ने उसे रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह बिना एक शब्द कहे अंदर चली गई और बाथरूम में जाकर दरवाजा बंद कर लिया। करन परेशान होकर बाथरूम के दरवाजे पर पहुंचा और पूछा, “क्या हुआ, क्यों रो रही हो?”

कीर्ति की आवाज से सुनाई दी, “करन, तुम इतने दिनों बाद क्यों आए? अब चले जाओ।” वह रोते-रोते दरवाजे से बोली। करन समझ नहीं पा रहा था कि क्या हो रहा। वह फिर से बोलता है, “कीर्ति, बाहर आओ, हम बात करते हैं।” लेकिन कीर्ति बाहर नहीं आई। वह ऑफिस के लिए निकल जाता है, ऑफिस पहुंचते ही अजय से पूछता है, “अजय, क्या तुम जानते हो कि कीर्ति परेशान क्यों है?”

अजय के चेहरे का रंग उड़ जाता है। वह झिझकते हुए जवाब देता है, “न… नहीं, मुझे नहीं पता।”

“क्या होगा जब करन को कीर्ति और अजय के बीच की सच्चाई का पता चलेगा? क्या वह अपनी प्यार भरी रात को भुलाकर अजय से सामना करेगा, या फिर कीर्ति से कुछ और उम्मीदें लगाए बैठा रहेगा? क्या कीर्ति अपने दिल के टुकड़े को फिर से जोड़ पाएगी, या अजय के करीब होते हुए वह अपने प्यार को खो देगी? दिलचस्प मोड़ और अनकहे राज़ इस कहानी के अगले भाग में खुलने वाले हैं। जानने के लिए तैयार रहिए, क्योंकि अब कुछ ऐसा होने वाला है, जो किसी ने भी नहीं सोचा था!”

अगला भाग पढ़ने के लिए हमारे वेबसाइट के फ्री वेब नोटिफिकेशन के बटन को एलाऊ कीजिए और कहानी के अगले भाग का नोटिफिकेशन सबसे पहले पाएं।

यह एक काल्पनिक कहानी है, पात्रों के नाम, घटनाएँ और सब कुछ पूरी तरह से काल्पनिकता पर आधारित हैं। इसका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं है। यह केवल पाठकों के मनोरंजन के लिए लिखी गई है, और इसका उद्देश्य केवल कल्पना और रचनात्मकता को उजागर करना है। पाठक इसे एक काल्पनिक यात्रा के रूप में लें और इसे किसी भी वास्तविक व्यक्ति, स्थान या घटना से जोड़ने का प्रयास न करें। Follow Us on Facebook.  अगर आप एक लेखक हैं, तो आप हमारे लिए कहानी या लेख लिख सकते हैं, जिसे फ्री में आपके नाम के साथ Writershorts पर पब्लिश किया जाएगा। अपनी कृतियाँ हमारे साथ साझा करने के लिए, क्लिक करें और एक नई शुरुआत कीजिए।

कहानी का पहले भाग पढ़ने के लिए यंहा क्लिक करें, Best Romantic Love Story – Business Class Part 1: Aakarshan

 

Let’s Make This Go Viral!

1 Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *